Suraiya A Legend Actress and Singer of 1950s and 1960s
जब से फिल्में बनाई गई तभी से बहुत गायिकाओं ने अपनी आवाज और गायकी से अपने हुनर का सिक्का ही नहीं जमाया बल्कि लोगों के दिलो दिमाग पर छा गई.
ये भी सच है कि फिल्मी गाने संगीतकार के दिमाग की उपज होती है जिसे गायक गायिका स्वर देते हैं,कलाकारों में तुलना भी उचित नहीं क्योंकि अभिनेता जिस तरह एक किरदार को जीवंत करते हैं उसी तरह सिंगर अपनी आवाज से अभिनय करते हैं.
इसके बावजूद यदि कोई एक गायिका थी जिसे आजतक की सबसे मधुर,सुरीली और मीठी आवाज कह सकते हैं तो वो थी #सुरैया.
राज कपूर और मदन मोहन, सुरैया के बचपन के दोस्त थे. ये सभी मिलकर ऑल इंडिया रेडियो के प्रोग्राम में गाने गाया करते थे.
मलकाए तरन्नुम सुरैया जमाल शेख़ के गाने सुनकर लगता है कितनी सहजता से गाती थी,कोई भी स्केल हो ऊंचा नीचा स्वर हो हमेशा सुरीली ही रहती थी,दूसरा उनका अंदाजे बयां और तलफ्फुज या उच्चारण,उर्दू में कई लफ्ज़ हैं जैसे किस्मत,इश्क,फूल,जिनका उच्चारण एकदम सही अंदाज में करना बेहद मुश्किल.
सुरैया इसमें मास्टर थी,सिर्फ उनके गाने सुनकर सही उच्चारण सीख सकते हैं बेहद बारीकी से,
तेरे नैनों ने चोरी किया, ओ दूर जाने वाले, वो पास रहे या दूर रहे, तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी, मुरली वाले मुरली बजा,दिले नादां तुझे हुआ क्या है, नुक्ता चीं है गमे दिल,
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक,सोचा था क्या क्या हो गया, राही मतवाले,ये न थी हमारी किस्मत के विसाले यार होता,आदि इनके हिट गाने हैं.
1948 से 1951 तक तीन साल के दौरान सुरैया ही ऐसी महिला कलाकार थीं, जिन्हें बॉलीवुड में सर्वाधिक पारिश्रमिक दिया जाता था।
हिन्दी फ़िल्मों में 40 से 50 का दशक सुरैया के नाम कहा जा सकता है।
उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी एक झलक पाने के लिए उनके प्रशंसक मुंबई में उनके घर के सामने घंटों खड़े रहते थे और यातायात जाम हो जाता था.
सुरैया ने जितनी गालिब की गजलें गाईं शायद ही किसी गायक ने गाई होगी.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी फिल्म मिर्जा गालिब के गीत सुनकर सुरैया से कहा था"तुमने ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ की रूह को ज़िंदा कर दिया"
सुरैया के समय,नूरजहां,ज़ोहरा बाई अंबालेवाली,राजकुमारी,अमीरबाई कर्नाटकी,गीता रॉय,शमशाद बेगम,मुबारक बेगम और निर्मला देवी अरुण(स्टार गोविंदा की मां) जैसी बाकायदे शास्त्रीय संगीत सीखी हुई गायिकाएं थी,
दिलीप कुमार पहली बार लता मंगेशकर से मिले तो प्रोड्यूसर से बोले ये कैसे गायेगी,इसके उर्दू गाने में दाल चावल की बू आती है,उसके बाद लता ने उर्दू टीचर रखा,लिखना सीखा,बिना लिखना सीखे एकदम सही उर्दू बोलना बहुत मुश्किल है,
लता मंगेशकर एक महान गायिका हैं.
सुरैया के साथ ये था कि न उसका दिल ज्यादा एक्टिंग में था न गाने में,प्रतिभा बहुत ज्यादा थी सुंदरता भी बहुत थी,उन्हे परिवार द्वारा हमेशा कंट्रोल किया गया , सिर्फ 338 गाने ही उन्होंने गाए,
अकेले रहना पसंद था,लाइट से दूर,आखिरी वक्त तक अपने मैरिन लाइंस के पास एक फ्लैट में रहती थी,75 वर्ष की आयु में सुरैया का 31 जनवरी 2004 को निधन हो गया था,
आज भी मैरिन लाइंस के बड़े कब्रिस्तान में दफन हैं,
मेरी मां ज्यादा फिल्म नहीं देखती थी लेकिन जब में छोटा था तो मां को नर्गिस सबसे ज्यादा पसंद थी और गाना उसे सुरैया का ज्यादा पसंद था,उस समय रेडियो में गाने बजते रहते थे मां अपना काम करती जाती थी,
मुझसे कहती थी"निगाहों में नर्गिस लबों पर सुरैया"
मैने पूछा ये क्या है?
तो बोली"देखने में नर्गिस अच्छी है बहुत अच्छा अभिनय करती है लेकिन सुरैया के जैसी आवाज किसी की नहीं, जिसका गीत सुनते ही लोगों की जुबान पर चढ़ जाए"